जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की संकल्पना

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE), 1986 के बाद शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। राष्टीय शिक्षा नीति में न केवल शिक्षा में गुणवत्ता को बल्कि अध्यापक शिक्षा की गुणवत्ता को भी रेखांकित किया गया है। देश में प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने की संवैधानिक प्रतिबद्धता के फलस्वरूप जनपद स्तर पर जिला शिक्षा एंवम् प्रशिक्षण संस्थानों की संकल्पना अति महत्वपूर्ण तथा वर्तमान समय की आवश्यकता के अनुरूप बहुत उचित, सामयिक और प्रासंगिक है। इन सस्थानों का मुख्य उद्देश्य औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षा व्यवस्था को सबलता प्रदान करना है।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा, रुद्रप्रयाग

जनपद रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल मण्डल में स्थित है। रूद्रप्रयाग जनपद उत्तर-प्रदेश के राजस्व अनुभाग से जारी शासनादेश अधिसूचना संख्या 2867/1-1111/11 R-S 18 सितम्बर 1997 को अस्तित्व में आया। जनपद रूद्रप्रयाग का निर्माण जनपद चमोली की रूद्रप्रयाग व ऊखीमठ तहसील, टिहरी जनपद की जखोली उपतहसील तथा पौडी़ जनपद की श्रीनगर तहसील की बचणस्यूं व धनपुर पट्टी को मिलाकर किया गया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की अनुशंसाओं के अनुपालन में प्रत्येक जनपद में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गयी। रूद्रप्रयाग से 08 कि0मी0 दूर श्री बद्रीनाथ को जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-58 पर जनपद रूद्रप्रयाग का जिला संसाधन केन्द्र रतूड़ा शासनादेश सं0-11/XXIV(2)/2006 दिनांक 01 मार्च-2006 के अनुसार स्थापित किया गया। संसाधन केन्द्र को भारत सरकार के शिक्षक शि़क्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत राष्ट्रीय पाठयचर्या-2009 के आलोक में शासनादेश सं0-472/XXIV-3/13/04(65)2005 दिनांक 27 जून-2013 के अनुसार जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) के रूप में उच्चीकृत किया गया है।